मुकुल वासनिक के साथ कमलनाथ और दिग्विजय सिंह हुए शामिल
खिलावन चंद्राकर
भोपाल 5 जुलाई मध्यप्रदेश में होने जा रहे 24सीटों के लिए विधानसभा उपचुनाव को लेकर रविवार को कांग्रेस नेताओं की मैराथन बैठक हुई। जिसमें प्रदेश प्रभारी महामंत्री मुकुल वासनिक पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ ही सभी कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस कमेटी के सभी पूर्व अध्यक्ष और पूर्व नेता प्रतिपक्ष शामिल हुए। बैठक में सभी उपचुनाव वाले विधानसभा क्षेत्रों को लेकर के चुनावी रणनीति तय की गई। 6 से 7 घंटे तक चली कांग्रेस नेताओं की मैराथन बैठक पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के निवास पर रखी गई थी जिसमें विधानसभा वार चुनावी स्त्रियों का आकलन किया गया साथ ही किन क्षेत्रों में कांग्रेश के 15 महीने की सरकार की उपलब्धियों को और किन क्षेत्रों में भाजपा के केंद्र व राज्य सरकार की नाकामियों को मतदाताओं के बीच ले जाया जाएगा इसकी रणनीति तय की गई। बैठक में यह भी सूचित किया गया की सोशल मीडिया के माध्यम को प्रभावी तरीके से उपयोग में लाया जाए और इससे स्थानी य नेताओं को ढूंढ कर मतदाताओं को सीधे प्रभावित करने वाले मुद्दों को लगातार स्थान दिया जाए।
सर्वे के परिणामों की समीक्षा
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की इस बैठक में क्षेत्रवार किए गए गोपनीय सर्वे के परिणामों पर भी मंथन किया गया। जिन क्षेत्रों में चुनाव जीतने के योग्य प्रत्याशी मौजूद है उनके नामों को लेकर भी चर्चा की गई साथ ही उपचुनाव वाले जिन क्षेत्रों में कांग्रेस की स्थिति कमजोर दिखाई दे रही है वहां भाजपा एवं बसपा से कांग्रेस में आने वाले वाले संभावित नेताओं के चुनाव जीतने की संभावनाओं पर भी गंभीरता से विचार किया गया और रणनीति तय की गई की उन्हें पार्टी में किन शर्तों पर शामिल किया जाए।
निर्दलीय एवं सपा व बसपा के विधायको का फिर से समर्थन लेगी कांग्रेस
एक अन्य जानकारी के अनुसार मंत्री नहीं बनाए जाने के कारण भाजपा सरकार से नाराज चल रहे निर्दलीय , सपा और बसपा के विधायकों का समर्थन कांग्रेस विधायक दल को प्राप्त करने के लिए भी रणनीति बनाई गई। यह भी बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने ऐसे विधायकों से बैठक के दौरान ही टेलीफोन पर चर्चा कर उनके दृष्टिकोण के बारे में स्पष्ट जानकारी हासिल की। इस दौरान यह भी विचार सामने आया कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए क्या पृथक से चुनाव घोषणा पत्र बनाया जाना चाहिए या सामूहिक रूप से घोषणा पत्र जारी कर पार्टी के भविष्य की योजनाओं से वहां के मतदाताओं को परिचित कराया जाए। बैठक के दौरान उन क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस किया गया जिन उपचुनाव के 14 क्षेत्रों में शिवराज सरकार मैं बिना विधायक बने ही मंत्री बनाए गए हैं। यह भी तय किया गया कि मतदाताओं के बीच प्रभावी ढंग से यह तथ्य पहुंचाया जाए की आर्थिक एवं मंत्री पद की सौदेबाजी के बाद किस तरह कमलनाथ की कांग्रेस सरकार को गिराने का षडयंत्र भाजपा के नेताओं ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मिलकर किया।
विस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का लड़ेंगे चुनाव
 बैठक में 20 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र के दौरान होने वाली कार्रवाई के संदर्भ में भी विचार विमर्श किया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वरिष्ठ नेताओं के बीच सामूहिक चर्चा के बाद यह तय किया गया कि कांग्रेश द्वारा परंपरागत रूप से विपक्ष के लिए निर्धारित की गई उपाध्यक्ष पद की मांग पार्टी की ओर से नहीं की जाएगी। इसके स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पदों पर प्रत्याशी खड़े सदन में मतदान करवाए जाएंगे। इस सिलसिले में नामों को लेकर विचार भी हुआ किंतु अंतिम निर्णय नहीं हो पाया बताया जाता है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में इस संदर्भ में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
विधानसभा वार समीक्षा आज
कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री मुकुल वासनिक मध्य प्रदेश का प्रभार मिलने के बाद दूसरी बार मध्य प्रदेश के दौरे पर आए है। इससे पहले वे राज्यसभा चुनाव में मतदान के दौरान भोपाल आए थे किंतु 1 दिन के संक्षिप्त प्रवास में कोई बैठक में शामिल नहीं हुए और राजनीतिक स्थितियों को लेकर  कोई चर्चा भी नहीं हुई। दूसरी बार आज भोपाल पहुंचने पर कांग्रेसी नेताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। वे कल प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में उपचुनाव वाले प्रत्येक क्षेत्र के चुनाव प्रभारियों पूर्व मंत्रियों और उनके सहयोगियों, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कार्यकारी अध्यक्षों के साथ ही चुनाव लड़ने के इच्छुक कांग्रेसी नेताओं से विधानसभा वार्ड चर्चा करेंगे। समझा जा रहा है कि पार्टी द्वारा डेढ़ दर्जन प्रत्याशियों के नाम लगभग तय किए जा चुके हैं और शेष आधा दर्जन प्रत्याशियों के नामों पर मंथन जारी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस द्वारा तय हो चुके प्रत्याशियों के नामों की घोषणा 31 जुलाई तक की जा सकती है। पार्टी का दृष्टिकोण है कि शीघ्र नाम तय करके चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को चुनाव प्रचार के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए ताकि पूरे क्षेत्र के मतदाताओं से उनका संपर्क स्थापित हो सके और कांग्रेस के योजनाओं को उन तक पहुंचाया जा सके।

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